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प्रेरणा परमार्थ आश्रम

मर्यादा पुरुषोत्तम नगर, (मोहब्बत गंज उपरहार), चाका ब्लाक, पोस्ट ऑफिस डांडी, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश (भारत)

“यह आश्रम मानव सेवा एवं अध्यात्म के व्यवहारिक पक्ष का एक सजीव विश्वविद्यालय है, जहां  इस ज्ञान की अनुभूति कराई जाती है कि इस धरा पर उपस्थित किसी भी प्राणिजन के प्रति कोई भी भेदभाव नहीं है, सब में उसी माँ सर्वेश्वरी का अंश विद्यमान है I”

 

प्रेरणा परमार्थ आश्रम, एक गैर सरकारी संगठन है जो आये हुए परमार्थियों के दान से संचालित होता है। आश्रम का किसी धर्म, जाति, सम्प्रदाय, राजनैतिक दल से लेना-देना नहीं है। यह संगठन उन परमार्थियों का है जो नि:श्वार्थ रूप से पीड़ित मानवता की सेवा को अपना धर्म समझते हैं।

 

बचपन से ही सेवा भाव होने के कारण परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति का मन, उन सभी कार्यक्रमों में ही लगता था, जिसमें निःश्वार्थ मानव् सेवा होती थी I इसी निष्ठावान श्रमदान ने परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति को उनके आगामी जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का धरातल तैयार किया I

जब परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति, सत्ती चौरा, तिलक रोड के एक पुराने से भवन में एक छोटे से कमरे में रहे I वहीँ पर कुछ अन्य छात्र भी रहा करते थे जो इलाहाबाद के बाहर से आकर वहाँ अपनी शिक्षा हेतु आये थे I परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति उन छात्रों को वह कुछ अन्य छात्रों को ट्यूशन पढ़ाने लगे और उनकी जो आय होती थी, उसी से वे अपना जीवन निर्वाह करने लगे I

 

परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति अगर एक साधारण व्यक्ति की तरह चाहते अपने जीवन का निर्वहन तो तब भी बहुत ही अच्छे से कर सकते थे जब उन्हें बैंक ऑफ़ बड़ोदा में नियुक्ति मिली थी I परन्तु उनकी आत्मा तो मानव-सेवा एवं उच्चतम आध्यात्मिक जीवन में बसती थी I इलाहाबाद में उस समय उनके पास एक सायकिल थी जिससे वे शहर के अन्य छात्रों को भी ट्यूशन पढ़ाने जाया करते थे I पहले भी जब वे शिक्षा हेतु इलाहाबाद में थे तब भी परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति को लोग एक साधारण नहीं बल्कि कुछ विशेष सिद्ध व्यक्तित्व मानने लगे थे I इलाहाबाद में परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति के पुनरागमन से पुराने तथा कुछ नए लोग भी उनसे जुड़ने लगे थे I परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति बताते हैं कि  जब भी वे कभी इलाहाबाद नगर में कहीं भी जाते थे तो उन्हें अनेकों असहाय वृद्ध लोग दिखते थे जिनको देख कर उनको बहुत कष्ट होता था I वे सदैव यही सोचते रहते थे कि कैसे इन असहायों को एक अच्छा जीवन दिया जाये तथा इनकी सेवा की जाये ? चूँकि बचपन से ही मानव सेवा की प्रबल भावना उनके भीतर थी ही इस लिए वे लोगों की सेवा हेतु व्याकुल रहते थे, उन्होंने अपने जीवन का परम लक्ष्य ही अध्यात्म एवं निःस्वार्थ मानव सेवा को ही बना रखा था I

 

जब लोग उनसे मिलने लगे एवं उनके इन विचारों से प्रभावित होने लगे तो एक दिन परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति ने उनमे से कुछ लोगों के सामने अपना यह विचार रखा कि हम सबको अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार इस मानव सेवा के मार्ग पर चलना चाहिए I इस पर विचार मंथन हुआ एवं इस हेतु एक आश्रम की स्थापना का निर्णय लिया गया I एक संस्था ने जन्म लिया जिसका नाम  “प्रेरणा परमार्थ वृद्ध आश्रम” रखा गया I 

 

१६ सितम्बर, सन 2002 में “प्रेरणा परमार्थ वृद्ध आश्रम” की स्थापना हुई, जो आज अपनी सेवाओं के बहुत बड़े विस्तार के कारण “प्रेरणा परमार्थ आश्रम” कहा जाता है I हालांकि आज भी इस आश्रम में कुछ असहाय एवं अनाथ वृद्धों की सेवा अनवरत जारी है I

 

धीरे-धीरे उस भूमि पर निर्माण कार्य आरंभ हुआ I सबसे पहले वहाँ एक झोपड़ी डाली गई, पानी की बोरिंग हुई और साथ ही उस भूमि की सीमाओं को तारों से सुरक्षित किया गया I  परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति अपने कुछ साथियों के साथ सुबह से लेकर शाम तक उस झोपड़ी में रहकर, आश्रम की भूमि में होने वाले निर्माण कार्य को लगातार देखते एवं स्वयं भी परिश्रम करते थे I  धीरे-धीरे वहाँ सबसे पहले “आनंद कानन” नामक भवन का निर्माण हुआ जिसमें अघोर मूर्ति का एक कक्ष बना और वह सत्ती चौरा वाले अपने निवास से, यहाँ रहने लगे I इसके साथ ही उनके साथ, कुछ छात्र भी वहाँ रहने लगे, जो परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति के निर्देशन में अपनी पढ़ाई के साथ साथ आश्रम की आध्यात्मिक एवं सेवा कार्य में भी भाग लेते थे I आर्थिक रूप से अशक्त प्रतिभाशाली छात्रों को निवास, भोजन, पठन-पाठन  आदि की सुविधा आज भी  नि:शुल्क जारी है और अनेकों छात्र यहाँ रहकर परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति के आशीर्वाद से अनेकों छात्र, आज चिकित्सक, अध्यापक एवं प्राध्यापक बन कर अपना जीवन आनंद पूर्वक बिता रहे हैं I

 

प्रारंभिक सेवा कार्यों में  परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति ने अपने सहयोगियों से कहा कि वे इलाहाबाद शहर की सड़कों पर असहाय, अनाथ एवं वृद्धों को  चिन्हित करके आश्रम में लाएं, जहां पर उनकी सही प्रकार से सेवा एवं देखभाल की जा सके I आनंद कानन के निर्माण के शीघ्र बाद ही वहाँ पर असहाय एवं अनाथ वृद्धों के लिए एक भवन का निर्माण किया गया I धीरे धीरे एक समय वहाँ लगभग 20 से 25 असहाय एवं अनाथ वृद्ध लाए गए और उनकी भरपूर मानवीय सेवा की जाने लगी I  उनको इस कठोर संसार में माँ गुरु का जो आश्रय एवं स्नेह मिला, उसकी वे कभी भी कल्पना नहीं कर सकते थे I जब कभी भी उन वृद्धों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ तो उनकी करुण कहानी सुनकर मन बहुत व्यथित हो जाता था कि कैसे हमारे समाज में पारिवारिक संस्कारों एवं उत्तरदायित्वों का क्षरण हुआ है I

 

        परम पूज्य अवधूत कायाकल्प कार्यक्रम 

परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति ने प्रयागराज नगर एवं अन्य नगरों की शाखाओं में परम पूज्य  अवधूत भगवान् राम कायाकल्प कार्यक्रम का आरम्भ किया जो निरंतर जारी है I इस कार्यक्रम के अंतर्गत शहरों की सड़कों, रेलवे स्टेशनों व अन्य स्थानों पर असहाय, बीमार एवं फटेहाल, बुरी स्थिति में पाए जाने वाले लावारिस लोगों को सूर्योदय से पहले चिन्हित कर उनका पूरा क्षौर कर्म (दाढ़ी, बाल) बनवा कर उन्हें पूरी तरह से नहला- धुला कर, यदि कोई घायल अवस्था में है तो उसकी तुरंत चिकित्सा कर के, नए वस्त्रों  को पहना कर, भोजन करवा कर उन्हें उनके असली स्वरूप में लाकर उनकी मनःस्थिति को परिवर्तित कर समाज की मुख धारा में लाया जाता हैI परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति श्री भैया जी ने उन लोगों को अपने मानवीय भावना से स्पर्श किया एवं उनके असली स्वरूप में लाने का अद्वितीय कार्य किया जो भारत में संभवतः पहली बार किसी सिद्ध औघड़ संत ने आरम्भ किया I
 
 
 

                    नि:शुल्क जल प्याऊ

 परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति ने इलाहाबाद नगर की सड़कों पर भयानक गर्मी से उपजी प्यास को बुझाने के लिए अनेकों स्थानों पर नि:शुल्क जल प्याऊ लगवाए और पूरी भीषण गर्मी में रास्तों से गुजरते प्यासे लोगों के लिए जल एवं कुछ मीठे खाद्य पदार्थ  की व्यवस्था की I यह कार्य आज भी १८-१९ वर्षों से अनवरत जारी है I

 

 

 

 

 

 

बाबा भगवान राम चिकित्सालय

इन सेवा कार्यों को करते हुए क्षेत्र के गरीब परिवारों के ऊपर भी परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति की दृष्टि गई और अनेकों प्रकार से उन्होंने उनकी सहायता हेतु प्रयास किए I  तभी परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति के मस्तिष्क   में यह विचार आया किस ग्रामीण अंचल में एक ऐसा छोटा सा चिकित्सालय आरंभ किया जाए जिसमें किसी भी रोगों की प्राथमिक चिकित्सा एवं टेस्ट आदि की सुविधा  नि:शुल्क उपलब्ध हो I  फिर क्या था यह विचार सभी समर्पित सहयोग एवं श्रद्धालुओं के बीच एक बड़े उत्साह पूर्ण रूप में पहुंचा और इस पर कार्य आरंभ हुआ I  धीरे-धीरे वहां” “अघोरेश्वर भगवान राम चिकित्सालय”  के विचार ने मूर्त रूप लिया I  चिकित्सालय भवन बन कर तैयार हो गया और वह 5 बिस्तरों वाले एक छोटे से क्लीनिक की व्यवस्था की गई I इसी बीच वहाँ रोगियों को लाने ले जाने के लिए एक एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई गई I

 

परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति के इस मानवीय कार्य की चर्चा इलाहाबाद के प्रबुद्ध लोगों में होने लगी और धीरे-धीरे तो इस मानव सेवा की सरिता में अपना सहयोग देने के लिए तत्पर होने लगे I  इसी क्रम में कुछ चिकित्सकों ने भी अपनी सेवाएं देने का प्रस्ताव परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति के समक्ष रखा तो उन्होंने उनके इस प्रस्ताव की प्रशंसा करते हुए साधुवाद दिया और फिर नियमित रूप से वहाँ पर चिकित्सक अपनी सेवाएं देने लगे I आज चिकित्सालय क्षेत्र के लगभग 50 किलोमीटर के वृत्त  में आर्थिक रूप से विपन्न  लोगों के लिए एक बहुत बड़ा सहारा बन चुका है I आज यहाँ नि:शुल्क औषधि वितरण, नि:शुल्क चिकित्सकीय सलाह  एवं विभिन्न प्रकार के शारीरिक रोगों से संबंधित मूलभूत जांच सुविधाएं भी उपलब्ध  हैं I  प्रत्येक रविवार यहाँ काफी भीड़ होती है और लोगों के स्वास्थ्य की जांच करके उन्हें उपयुक्त औषधियां दी जाती हैं I सन  २०२३ तक हज़ारों रोगियों की नि:शुल्क चिकित्सा की जा चुकी है और लोग पूर्ण स्वस्थ हो  चुके हैं I

 

चिकित्सालय बनने  और जल पियाऊ के बाद, परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति की इस आश्रम के माध्यम से सेवा यात्रा यहीं तक सीमित नहीं रही I कुछ ही समय बाद वहाँ पर इस क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं एवं बेटियों के लिए एक सिलाई केंद्र एवं आधारभूत शिक्षा देने की भी व्यवस्था की गई I आश्रम में ही अनेकों अवसरों पर परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति ने नि:शुल्क वस्त्र एवं चरण पादुका वितरण का कार्यक्रम भी ऋतुओं के अनुसार आरंभ किया जो आज भी अनवरत जारी है I यदि कहीं आस-पास किसी भी गाँव में अग्निकांड जैसी स्थिति पर आश्रम के द्वारा त्वरित सहायताएं प्रदान की जाने लगी तथा बाढ़ की स्थिति में भी आश्रम ने अपनी मानवीय सेवाएं देना आरम्भ किया जो कि आज भी जारी है I अब समय था कि प्रयागराज आश्रम की परिधि के बाहर भी सेवाओं को विस्तार दिया जाए I  इसी क्रम में परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति ने पड़ोसी जिलों के अविकसित क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देने का निर्णय लिया और जिसे उन्होंने मिर्जापुर के आदिवासी क्षेत्रों से आरंभ किया I  जो कि आज भी जारी है I वहाँ के लोग बड़ी ही श्रद्धा से इस बात की प्रतीक्षा करते हैं कि कब प्रेरणा परमार्थ आश्रम के लोग आएं और उनकी स्वास्थ्य की जांच तथा औषधियां वितरित करें एवं वस्त्र आदि वितरण करें।

धीरे धीरे क्षेत्र के लोगों के लिए आश्रम में ही नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाए जाने लगे जिसमें नेत्र चिकित्सा शिविर भी एक प्रमुख कार्य था I आश्रम की ओर से वर्ष में अनेकों अवसरों पर भंडारे का आयोजन आज भी होता है जिसमें क्षेत्र के हजारों लोग प्रसाद पाते हैं I यह समय आसपास के ग्रामीण परिवारों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होता I

 

परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति अनेकों अवसरों पर गंगा स्नान एवं दर्शन हेतु जाते थे I परंतु वहाँ की अस्वछता देखकर उनका मन बहुत ही दु:खी होता थ I तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि हमें एक अंतराल के मध्य गंगा के तटों की सफाई करनी चाहिए और यह विचार उन्होंने अपने सहयोगियों एवं श्रद्धालुओं को जब दिया तो सभी उत्साह से भर उठे I स्त्री-पुरुष, बूढ़े, युवा, बच्चे  आदि सभी लोगों ने एक निश्चित तिथि पर इलाहाबाद स्थित गंगा सफाई अभियान आरंभ किया I अनेकों उपरोक्त वर्णित सेवा कार्यों के अनुरूप ही यह कार्य आज भी अनवरत जारी है I

 

परम श्रद्धेय अघोर मूर्ति द्वारा इस प्रेरणा परमार्थ आश्रम, प्रयागराज के माध्यम से वर्ष भर अनेकों सामाजिक एवं मानवीय सेवा के कार्य किए जाते हैं I  यह आश्रम आज हजारों लोगों के लिए सहायता का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है I ऐसा नहीं है कि केवल यह मानव सेवा का कार्य इलाहाबाद व उसके आसपास के क्षेत्र में ही हो रहा है बल्कि अघोर मूर्ति ने अपनी सेवा कार्य का विस्तार किया एवं अनेकों जगहों पर इसी आश्रम की अन्य शाखाएं बनी जिससे बड़ी संख्या में लोगों की सेवा की जा रही है ।

बाबा भगवान राम पाठशाला

इसी वर्ष परम् पूज्य अघोरमूर्ति श्री भैया जी द्वारा नव स्थापित बाबा भगवान राम पाठशाला का आरम्भ किया गया जिसका उद्घाटन परम् पूज्य अवधूत बाबा प्रियदर्शी राम जी के कर कमलों से हुआ। यह पाठशाला आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करेगा तथा उन्हें भारतीय संस्कृति, सनातन की भी शिक्षा देकर एक अच्छा मानव बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा।

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